राम तुम्हें आना होगा
प्रतियोगिता हेतु रचना राम तुम्हें आना होगा
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हे राम तुम्हें इस धरती पर कलयुग में फिर आना होगा।
अत्याचार बढ़ गया बहुत धरती से उसे मिटाना होगा ।।
धरती पर राक्षस बढ़े बहुत अब धनुष उठाना ही होगा।
नारी भी अब लाचार हुई रणचंडी उसे बनाना होगा।।
त्रेता युग में तो बस एक रावण था ज्ञानी, अभिमानी, महाबली।
कलयुग के राक्षस हत्यारे घूम रहे हैं गली-गली।।
रावण ने सीता का हरण किया सम्मान लंका में रखा।
कलयुग के राक्षस नारियों की इज्जत का बजा रहे डंका।।
त्रेता का मानव था सहनशील धर्म के पथ पर था चलता।
आज का दानव हत्यारा कन्याओं की हत्या है करता।।
धरती का हिन्दू फिर सोया है उसको तुम्हें जगाना होगा।
बजरंग बली को साथ में लेकर हे राम तुम्हें आना ही होगा।।
हिन्दुत्व तभी बच सकता है जब आप धरा पर आयेंगे।
राक्षसों से लड़ने के खातिर धर्म का पथ दिखलाएंगे।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक ऊ